अब वो वक़्त कहां रहा जब छोटी छोटी खुशियों में झुमा करते थे, अब वो वक़्त कहां रहा जब हम तुम्हारी उंगली पकड़ के घुमा करते थे। कद बड़ गया है अपना इसलिए शायद ज़मीं पर देखना छोड़ दिया, अब वो वक़्त कहां रहा जब हम मंज़िल पर घुटनों के बल पहुंचा करते थे। अब वो वक़्त कहां रहा जब मार मार के स्कूल भेजे जाते थे, अब वो वक़्त कहां रहा जब किसी को चोट लगने पर हम भी रो दिया करते थे। समझदार हो गए हैं शायद इसलिए हर रिश्ते तोड़ते जा रहे हैं, अब वो वक़्त कहां रहा जब इन्हीं रिश्तों को निभाने के लिए अड़ जाया करते थे। घर बड़े हो गए एक दीवार बीच में क्या आयी जिनसे वजूद है उनको भूल गए, अब वो वक़्त कहां रहा जब एक कमरे में ही सुकून की नींद सोया करते थे। आज सब कुछ है पर जीवन में सरलता कहीं दिखती नहीं, दो पल की चका चोंध है भूल गए हैं शायद, क्योंकि सादगी यूं बिकती नहीं। अब दूसरों को समझने का वक़्त कहां रहा खुद को भी खोता नज़र आ रहा है, अब वो वक़्त कहां रहा जब साथ बैठ के एक दूजे के दुःख दर्द सांझे किया करते थे। अब वो वक़्त कहां रहा #nojotohindi #nojotohimachal