खिड़की से देखो,यह दुनिया कितनी खूबसूरत है, दरवाजे से बाहर ना निकलना मगर, जान जाओगे क्या हाल ए सूरत है, बिकता है सबकुछ,सबकुछ लुटाने वाला चाहिए, सब चढ़ता है तराजू पे बस पलड़ा झुकाने वाला चाहिए, बोली लगती है,जस्बात बिकते है थोक में, बाजार लगता है रोज,रोज़ बोरी भर के उठाने वाला चाहिए, यह झूठी महफिलें,यह झूठी मुस्कुराहट, पलटो जरा इनसे,फिर शुरू फुसफुसाहट, गैर हाज़िर ही रहा हूँ मैं इसलिए इन महफिलों से, जिहजूरियत मुझे आती नहीं,गलत को कह देता हूँ गलत, मैं सच कहता हूँ,तो अच्छा नहीं,झूठ बोलकर भी अज़ीज़ हो तुम, चीजों की चस्की में तुम ऐसे हो उलझे,बन गए खुद कोई चीज़ हो तुम, हाँ साँसे तो है मगर,बस कोई बेजान मूरत है, दरवाजे से बाहर ना निकलना मगर, जान जाओगे क्या हाल ए सूरत है ।। #materialistic #fakepeople #speakwhatyoufeel #yqdidi #hindipoetry #hindi #yqbaba #shayari