"इश्क हुआ उस मौसम से" पनाह मेरे जिस्म में लेती वफा उस से निभाती शराब मुझे इश्क हुआ उस मौसम से ज़माना जिसे कहता खराब जागता हूँ तो दिल देवालय में सिर्फ उसे आने की है इजाजत मेरी नींद में आरक्षण पाते उसके ख्वाब समझने के बजाय काश रट्टा मारा होता चुनावी वादों की तरह कब का भूल गया होता सच्च कहते हैं बड़े कुछ भी अच्छा नहीं बेहिसाब मैं मोहब्बत में किसान हो गया मेरे हिस्से आया इज्तिराब* आढती के सूट पर देख कमखाब* मुनाफे का अंदाज़ा लगा लें जनाब रुका रहा मैं निजी बस सा रुका रहा उसकी खातिर वो सरकारी में निकल गया शातिर अब ना महताब* भाता मुझे ना मीठा लगता राब* मुझे इश्क हुआ उस मौसम से ज़माना जिसे कहता खराब ।।।। - अभिमन्यु कमलेश राणा 1)इज्तिराब* - व्याकुलता, बेचैनी 2) कमखाब* - सिल्क या रेशम के कपड़े पर किया जाने वाला सोने-चाँदी के तारों या कलाबत्तू से बेलबूटाकारी का काम। इसे ज़री का काम भी कहते हैं। 3)महताब* - चांद 4)राब* - खांड "इश्क हुआ उस मौसम से" पनाह मेरे जिस्म में लेती वफा उस से निभाती शराब मुझे इश्क हुआ उस मौसम से ज़माना जिसे कहता खराब जागता हूँ