मुसाफ़िर हूँ रास्ता बना रहा हूँ मंजिल है दूर हौसला बढ़ा रहा हूँ कदम डगमगा ना जाएँ कहीं इस सफ़र में उम्मीद को अपना सहारा बना रहा हूँ #dkpatelpoetry