कभी कभी लगता है कुछ भी ना बोलूं कभी कभी लगता है बस बोलती जाऊं कुछ मिस्री सी बातें हवा में घोलती जाऊं पर डर लगता है कि कोई समझ पाएगा मेरे मौन को, मेरे कहे अनकहे शब्दों को, कहना चाहती हूं मैं बहुत कुछ, कुछ पल और सपने बुनना चाहती हूं, चाहती हूं कि ये वक्त ठहर जाए, मुझे भी साथ ले चले, मैं थक चूकी हूं दूसरों का सुनकर, कोई मेरी भी तो सुने, चाहे किसी की कहानी की नायिका नहीं मैं, पर खुद की कहानी का तो बन सकती हूं, मैं मानती हूं नायिकाओं वालें गुण नहीं है मेरे अंदर, न मैं बेचारी हूं और ना ही हूं नासमझ, पर दिल की साफ़ हूं, यही सोचकर खुश हो लेती हूं मैं, क्या पिक्चर में मुख्य भूमिका के अलावा, किसी और की कोई कहानी नहीं, उनका कोई वजूद नहीं होता क्या? क्या वो सिर्फ दूसरे की कहानी का इक हिस्सा होते हैं, क्या उनकी कोई कहानी नहीं होती, क्या वो कभी मुख्य भूमिका में आ पाएंगे? शायद उनकी भी कोई कहानी हो, वो भी इक दिन अपनी बातें कह सके, मुख्य भूमिका की तरह उनकी भी कोई सुंदर और साधारण सी कहानी हो, जिसपे तालियों की गरगराहट ना हो, पर उनके दिल की खुशियां हो। -Priyanka Kumari Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 Highlight and share this beautiful post so no one misses it!😍 Don't forget to check out our pinned post🥳