मोहब्बत की नफ़रत भी सह रहे हैं हम उसके हक़ में ग़ज़ल भी कह रहे हैं हम ~अब्दुल हादी मोहब्बत की नफ़रत भी सह रहे हैं हम उसके हक़ में ग़ज़ल भी कह रहे हैं हम ~अब्दुल हादी