कि अभी ठहरे है,क्या पता. कल फिर निकल जायेंगे हम.... कोई पत्थर थोड़ी न है, कुछ देर में पिघल जायेंगे हम.... और बेख़बर रक्खो इरादे सभी, यूँ ही थोड़ी न बदल जायेंगे हम..... व ये जो जमीं पर पड़े हुए है, यूँ ही थोड़ी न फिसल जायेंगे हम... और रुख़्सती तो एक दिन होनी ही है, वक़्त को थोड़ी न बदल जायेंगे हम... #Rukhsati....