मैं ही नहीं प्रकृति भी दे जाए, तुझे तेरे जन्मदिन पर ढेरों उपहार। धरा दे जाए शीतलता अपनी, गगन ऊंचाई और सिंधु दे जाए अनन्त विस्तार।। गिरी दे जाएं अडिगता अपनी, पवन गति,तरुवर हरियाली, पुष्प पराग,रवि तेज़,इंदु शीतलता यही दुआ है सबसे बड़ा उपहार।। ©Sneh Prem Chand उपहार