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तू हवा के रुख पे चाहतों का दिया जलाने की ज़

तू हवा के रुख पे चाहतों का 
      दिया जलाने की ज़िद न कर
      
ये क़ातिलों का शहर है यहाँ तू 
      मुस्कुराने की ज़िद न कर झल्ले यार झल्ले ही रै गये
तू हवा के रुख पे चाहतों का 
      दिया जलाने की ज़िद न कर
      
ये क़ातिलों का शहर है यहाँ तू 
      मुस्कुराने की ज़िद न कर झल्ले यार झल्ले ही रै गये
vikramsingh4395

Vikram Singh

New Creator

झल्ले यार झल्ले ही रै गये