रख दिल पे हाथ ऐसे की , इन धड़कनो के तेरे छू लेने की आहट हो जाए। यूँ देख मेरी निगाहो मे अपनी निगाहो से , के इन निगाहो की सिकुड़ती पुतलियों को थोड़ा सा अराम हो जाए ।। दिल चाहता है तुझे देखना , तड़प रहा है जेसे फसा पडा़ हो मच्छली के जाल में। दिल में चूब रहे है काटे ही काटे , जेसे किसी ने निकाल कर फेक दिया हो काटो के झाड़ में।। मेरी निगाहो में भी एक तेरा सफर अभी बाकी है , चल रही हूँ अभी भी कदमो को थाम कर। देख रही हूँ बस राहे तेरी अभी तेरा चेहरा बाकी है , न बचा है कुछ, आ गयी हूँ बहुत दूर काटो का दरियाँ भी लांग कर।। * DevU Raj * #Alone Jayap Trisha parashar