गीदङ बस्तियों की ओर भागते हों श्वान रूदन राग अलापते हों इंसान मातम रागते हों मुझे भयावह कहर चाहिए मेरे अन्त समय में काशी नहीं मुझे मगहर चाहिए मेरे अन्त समय में। #काशी_मगहर