* कुछ अल्फाज मोहब्बत के *
सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,,
तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।।
सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,,
तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।।
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