"......जिद्द"..... पिता "बेगाना" है...... बच्चे को मनाना है, कल से कुछ नही खाया उसे समझाना है...... मां से भी रूठकर बैठा वो ये कैसा "नजराना" है... किसी से बात तक नहीं कर रहा लगता अब तो उसे "नया फोन ही दिलाना" है.... ये कैसा जमाना है , प्यार की जगह अपने लाल को फोन देकर हंसाना है...... बिखरा पड़ा है सब, क्योंकि टूटा हुआ पिता का "आशियाना" है.... बच्चा दोस्तो के बीच खुद को छोटा feel कर रहा अब तो नया फोन दिलाकर ही उसे ' बड़ा बनाना' है...।। ........................................ ©नन्हीं कवयित्री sangu... #जिद्द