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आजा आजा मेरे राजा अखंड हिंद के महाराजा रो रही हिं

आजा आजा मेरे राजा अखंड हिंद के महाराजा 
रो रही हिंदी सडको पे तू अंग्रेजी राग बजाजा
अंधा तहसीलदार बना तू हस्तिनापुर का रे राजा
कौरव से बनके इतराते बनके माईकल पाॅल डिसूजा

हिंदी को है देख के लगता विधवा जैसे कुंती माता
धर्मग्रन्थ हिंदी का रक्षण पांडव दल बनवास को जाता
कृष्ण धरे संस्कृत सुदर्शन, बस युग मे इक बार ही आता 
कैसे बचेगी हिंदी राष्ट्र मे , बता दो मेरी भारत माता

दुर्योधन दुर्षासन जैसे, उर्दू बन उपहास उडाता
बिच भरे दरबार है लगती, द्रोपदी तब हिंदी भाषा
हो चली निर्वस्त्र रे हिंदी, बने द्रोपदी करे हैं आशा
नहीं आएंगे अब इस युग मे,  कोई कृष्णा कोई कान्हा 

बरलिंकटन बैंकॉक बनवासी, क्या जाने अब हिंदी भाषा
पोप बने आचार्य द्रोण जब, कैसी अब किससे है आशा
हो जाने दो महाभारत फिर से, पुनःनास सब कौरव दल का
करो अमर जो अखंड हिंद की, मेरी हिंदी राष्ट्र भाषा 



#हिंदी #साधारणमनुष्य #हिंदी_दिवस #2022
#Sadharanmanushya

©#maxicandragon आजा आजा मेरे राजा अखंड हिंद के महाराजा 
रो रही हिंदी सडको पे तू अंग्रेजी राग बजाजा
अंधा तहसीलदार बना तू हस्तिनापुर का रे राजा
कौरव से बनके इतराते बनके माईकल पाॅल डिसूजा

हिंदी को है देख के लगता विधवा जैसे कुंती माता
धर्मग्रन्थ हिंदी का रक्षण पांडव दल बनवास को जाता
कृष्ण धरे संस्कृत सुदर्शन, बस युग मे इक बार ही आता
आजा आजा मेरे राजा अखंड हिंद के महाराजा 
रो रही हिंदी सडको पे तू अंग्रेजी राग बजाजा
अंधा तहसीलदार बना तू हस्तिनापुर का रे राजा
कौरव से बनके इतराते बनके माईकल पाॅल डिसूजा

हिंदी को है देख के लगता विधवा जैसे कुंती माता
धर्मग्रन्थ हिंदी का रक्षण पांडव दल बनवास को जाता
कृष्ण धरे संस्कृत सुदर्शन, बस युग मे इक बार ही आता 
कैसे बचेगी हिंदी राष्ट्र मे , बता दो मेरी भारत माता

दुर्योधन दुर्षासन जैसे, उर्दू बन उपहास उडाता
बिच भरे दरबार है लगती, द्रोपदी तब हिंदी भाषा
हो चली निर्वस्त्र रे हिंदी, बने द्रोपदी करे हैं आशा
नहीं आएंगे अब इस युग मे,  कोई कृष्णा कोई कान्हा 

बरलिंकटन बैंकॉक बनवासी, क्या जाने अब हिंदी भाषा
पोप बने आचार्य द्रोण जब, कैसी अब किससे है आशा
हो जाने दो महाभारत फिर से, पुनःनास सब कौरव दल का
करो अमर जो अखंड हिंद की, मेरी हिंदी राष्ट्र भाषा 



#हिंदी #साधारणमनुष्य #हिंदी_दिवस #2022
#Sadharanmanushya

©#maxicandragon आजा आजा मेरे राजा अखंड हिंद के महाराजा 
रो रही हिंदी सडको पे तू अंग्रेजी राग बजाजा
अंधा तहसीलदार बना तू हस्तिनापुर का रे राजा
कौरव से बनके इतराते बनके माईकल पाॅल डिसूजा

हिंदी को है देख के लगता विधवा जैसे कुंती माता
धर्मग्रन्थ हिंदी का रक्षण पांडव दल बनवास को जाता
कृष्ण धरे संस्कृत सुदर्शन, बस युग मे इक बार ही आता