जब से तुम बिछड़े हो, हम हो गए हैं बेहाल कैसे जिएँगे हम तुम बिन, बन गया है ये इक सवाल हर लम्हा उदासी में अब बीत रहा है हमारा तुमने सुध ना ली हमारी, बीत गए जाने कितने साल // लेखन संगी // // जब से तुम बिछड़े हो // ऐ मेरे सनम, शजर से जुदा हो कर कब ख़ुश रही है डाल जब से तुम बिछड़े हो पहले सा नहीं रहा अपना इक़बाल लंबे समय तक ख़ामोशी का दौर गुज़ारा है दोनो के बीच बरसों बीत गए सनम तुमने बताया नहीं मुझे अपना हाल