दूरदर्शिता ------------------------------ अपने जो आदर्श हैं और हृदय में जिनका राज। कण कण भारत का कह रहा जय शिवाजी महाराज।। -------------------------------- जब दुष्ट अधम खल दनुज सम करे छद्म व्यवहार। गले मिलन अरु भेंट में रखे छिपा कटार।। तब रहो सतर्क बन बुद्धिमान दूरदर्शिता संग। दर्शा दो अपनी कूटनीति उड़े शत्रु के मुख का रंग।। अधर्म नाश हो अधर्म से यदि नहीं है कोई अधर्म। अन्याय बने अस्तित्वहीन और स्वस्थ बने निज धर्म।। #धर्म #देश #भारत #history #india #truth #poetry दूरदर्शिता ------------------------------ अपने जो आदर्श हैं और हृदय में जिनका राज। कण कण भारत का कह रहा जय शिवाजी महाराज।।