ज़रूरतों के वास्ते कमाना पड़ेगा ज़िन्दगी है इसे निभाना पड़ेगा मिल गया मकान वसीयत में ठीक इसे घर तो तुझे ही बनाना पड़ेगा आसमाँ है तलबगार रोने का आज बारिशों में तुमको नहाना पड़ेगा तुम हुए किसके कौन हुआ तुम्हारा एक रोज़ ये राज़ बताना पड़ेगा ये जिंदगी तुझपे उसीकी है 'एहसान' वो जब बुलायेगा तुझे जाना पड़ेगा @M.r राइटर_(शायर साहब) ©kavi Pankaj Kumar ज़रूरतों के वास्ते कमाना पड़ेगा ज़िन्दगी है इसे निभाना पड़ेगा मिल गया मकाँ विरसे में ठीक इसे घर तो तुझे ही बनाना पड़ेगा आसमाँ है तलबगार रोने का आज बारिशों में तुमको नहाना पड़ेगा तुम हुए किसके कौन हुआ तुम्हारा एक रोज़ ये राज़ बताना पड़ेगा