बहोत फर्क़ हैं, तुझ में मुझ मे, तूने मुझे कभीं चाहा नहीं, मैंने कभी तेरे सिवा, किसी और को चाहा नहीं, बहोत फर्क़ है, तुझ में मुझ मे, मैंने बहोत कुछ खों दिया, पाया कुछ भी नहीं, तुझे जो चाहा था, तू भी ना मिला, हाँ पाया कुछ भी नहीं, Khoya bahot kuch, Paaya na kuch,