झिलमिला रही रोशनियां रात की मदहोशीयों में, तिलमिला गई ज़िंदगियां अंधेरे की खामोशीयों में। भाप गई रोशनियां अंधेरों के खौपनक मंसूबों को, वाकिफ हो चुकी ज़िंदगियां अंधेरों के धौके फरेब से। दे रही मुसाफिरों को सहारे टिमटिमाती रोशनियां, बेशुमार अपराधों की गवाह रही है खंबे की बत्तियां। JP lodhi 11th July 2020 #streetlights