फसलों के शवों पर इमारतें। शहर जैसे सूखे जलाशयों की शिकायतें। शहर जैसे भावविहीन रची इबारतें। शहर जैसे इंतजार में पथराई वृद्ध आंखे। शहर जैसे तोतली बोली में कर्कश बातें। शहर जैसे विरह में तड़पी गोपिकाएं! #yosimwrimo में आज शहर के विभिन्न रूपों के बारे में लिखें। #शहरजैसे #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi