उन पर तोहमत लगाने का आज भी हमारा जी नहीं करता.. जितनी भी जी रहे हैं बदौलत उनकी सबको बताने का जी नहीं करता... अपनी नादानियां से घर लुटाए बैठे हैं मात खा गए इश्क में हम मात खा गए इश्क में हम