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मैं कान्हा की दीवानी!!! बन- बन घूम क़े लाई फूल,तेरी

मैं कान्हा की दीवानी!!!
बन- बन घूम क़े लाई फूल,तेरी दीवानी!
एक एक करके सांसों के धागे में पिरोई,
माला हरि के गले डालन आई रे मुरारी!
ना जानूँ प्रार्थना, ना ही पूजा की विधि।
मेरे श्याम तुम जानो मेरे मन की,
फिर क्यों मेरे नैनों में भरा है पानी!
मेरे अपने होकर भी कोई भी अपना नही।
अर्पण करूँ तेरे चरणों में फूल बिहारी!

©farzana begum
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