कुछ शेर जिम्मेदारियों का जो भी बोझ ढोते है ऐसे बच्चें ही अपने घर के बड़े होते हैं दर्द कितना भी हो चुपचाप सह लेते हैं अपने घर में कभी खुल के कहाँ रोते हैं जिम्मेदारियों का बोझ जो ढोते है