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#@4page वाकई में रात होती जा रहीं थी मैनें उसकी

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वाकई में रात होती जा रहीं थी मैनें उसकी  ओर देखा वो मुझे ही रह रह कर देख रहा था शायद कुछ कहना था उसे मगर कोशिशो के  बावजूद बोल निकल नहीं रहे थे और उसपर से मेरी मनोदशा कुछ उखड़ी सी 
मैने ही पूछ लिया
क्या कुछ कहना हैंॽॽॽ, वो तो जैसे  इंतज़ार में ही  था कि मैं कुछ पूछूँ और वो अपनी बातो का सारा हाल कह सुनाए।
तुम बोल रही थी की तुम्हें घूमना हैं कहीं तो अगर चलना चाहो तो भाभी को बनारस जाना हैं उनका ननीहाल हैं कल सुबह सुबह निकलेंगे और रात को वापस आ जाएंगे ।
बोलो गर चलना चाहोॽ 
वो प्रत्युत्तर की अपेक्षा में था
वहां मैं तुमलोगो के साथ जाकर क्या करूंगी भाभीजी का घर हैं और मैं  अनचाही मेहमान , नहीं फिर कभी ।
कुछ नहीं हम दोनो बनारस घूमेंगे बाहर ही खाना खाया जाएगा और शाम होने से पहले वापसी की तैयारी कर ली जाएगी और तो और वहां शिव जी का भव्य मंदिर भी हैं  गंगा आरती और जाने क्या क्या तुम न मत करो ।
वो तो जैसे बच्चों को फुसलाकर बात मनवाई जाती हैं बस मुझे भी एसे ही लालचों का अंबार लगा कर मोहित कर रहा था।
ठीक है कल बतातीं हूँ ।
अच्छा ठीक हैं मगर ना नहीं होना चाहिए ।सर्दी सी लग रहीं थी ।मौसम भी करवटें ले रहा था,जाड़े की आहटें थी धीरे-धीरे रात भी हो रही थी उसको जाने को बोला विन कुछ कहें ही घर को रवाना हो गया।
बडा अजीब है  अभी तक सर पे सवार था और अब बिल्कुल चुपचाप चला गया ।शायद कल सुबह की तैयारी में जुट गया हो अभी से। #story #page-4
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वाकई में रात होती जा रहीं थी मैनें उसकी  ओर देखा वो मुझे ही रह रह कर देख रहा था शायद कुछ कहना था उसे मगर कोशिशो के  बावजूद बोल निकल नहीं रहे थे और उसपर से मेरी मनोदशा कुछ उखड़ी सी 
मैने ही पूछ लिया
क्या कुछ कहना हैंॽॽॽ, वो तो जैसे  इंतज़ार में ही  था कि मैं कुछ पूछूँ और वो अपनी बातो का सारा हाल कह सुनाए।
तुम बोल रही थी की तुम्हें घूमना हैं कहीं तो अगर चलना चाहो तो भाभी को बनारस जाना हैं उनका ननीहाल हैं कल सुबह सुबह निकलेंगे और रात को वापस आ जाएंगे ।
बोलो गर चलना चाहोॽ 
वो प्रत्युत्तर की अपेक्षा में था
वहां मैं तुमलोगो के साथ जाकर क्या करूंगी भाभीजी का घर हैं और मैं  अनचाही मेहमान , नहीं फिर कभी ।
कुछ नहीं हम दोनो बनारस घूमेंगे बाहर ही खाना खाया जाएगा और शाम होने से पहले वापसी की तैयारी कर ली जाएगी और तो और वहां शिव जी का भव्य मंदिर भी हैं  गंगा आरती और जाने क्या क्या तुम न मत करो ।
वो तो जैसे बच्चों को फुसलाकर बात मनवाई जाती हैं बस मुझे भी एसे ही लालचों का अंबार लगा कर मोहित कर रहा था।
ठीक है कल बतातीं हूँ ।
अच्छा ठीक हैं मगर ना नहीं होना चाहिए ।सर्दी सी लग रहीं थी ।मौसम भी करवटें ले रहा था,जाड़े की आहटें थी धीरे-धीरे रात भी हो रही थी उसको जाने को बोला विन कुछ कहें ही घर को रवाना हो गया।
बडा अजीब है  अभी तक सर पे सवार था और अब बिल्कुल चुपचाप चला गया ।शायद कल सुबह की तैयारी में जुट गया हो अभी से। #story #page-4