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निशा अपने चरम पर खड़ी वह अपने धर्म पर सन्नाटे को

निशा अपने चरम पर
 खड़ी वह अपने धर्म पर 
सन्नाटे को बुलाते हुए
 गलियों को सहलाते हुए 
दीवारें खड़ी,किवाड़ सब शांत है 
न पर्दा हिला ,
केवल सन्नाटा मिला
 यह आज की निशा 
आज यहां ठहरने आई
 कोने में पड़े दो लोचन
 शांति में ध्वनि टटोलत हुए
 सब देख लिया
 कुछ न मिला
 मंद मंद वे बंद हुए 
पर्दा हिला, निशा फैल गई 
निशा अपने चरम पर
 खड़ी वह अपने धर्म पर  l

©Bhanu Priya
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