Nojoto: Largest Storytelling Platform

White शीर्षक--- मृग तृष्णा इच्छाओं के बवंडर में

White शीर्षक--- मृग तृष्णा

इच्छाओं के बवंडर में 
अनबुझे ही फसा सा हूं,
कभी कभी लगता 
दो पेचों के बीच 
वाशर सा कसा सा हूं ll

मृग तृष्णा सी हैं
सुकून को पा जाने को,
पर मन का लालच सा 
ना तैयार सा खत्म होने को ll

शानो-शौकत के गलियारों में
लॉन्ग ड्राइव बड़ी सी कारों में,
मिडल मेन सा नहीं मरूंगा
बहुत बड़ा सा नाम करना है,
बड़ा जो आसमां के सितारों से ll

रेगूंगा, चलूंगा, दौड़ूगा हर आश में, 
गर कुछ पा ना सका इस तलाश में,
मैं खुद में से खुद को ढूंढ ही लूंगा 
जैसे कस्तूरी हमेशा ही होती है  
प्यारे से मृग के ही पास में l

मेरी चाहत भी कुछ ...
ऐसी है सफल हो जाने की 
गहरे अंधेरे में जैसे जुगनू
छोटी सी रोशनी से भी आस
 देते है सूर्योदय होने की ll

©Dilip Swami
  #sad_dp 
 
 
  हिंदी कविता
 कविता कोश

#sad_dp हिंदी कविता कविता कोश

1,827 Views