मेरे खामोश लबों ने कुछ दर्द छुपा रहने दो, कुछ ना कहेंगे आपसे इन आसुओं को बहने दो। हार हम गये हैं उनसे फरियाद करते-करते, झूठा ही सही दिल का उन्हें हमदर्द बना रहने दो। ना पूछना कभी भी हमसे हमारा हाल, मेरे इन होंठों पर दिखने को हँसी रहने दो। अफसोस है बस इतना कि वो मेरे होकर भी मेरे नही है, गम की इस तपिश को दिल में ही दबी रहने दो। तपते हुए साहिल पे तू हमको कभी मिला था, इस धूप की तपन में कुछ छाँव बची रहने दो ...........