इस धुन्ध में चलता हूँ कहीं तलाश में सपनो की अन्जान रास्तों पे मीलों तक, इक आस लेकर के मिल जाए कहीं पे तो सुकून के पल, गहरी ख़ामोशी में चलता हूँ इक तन्हाई के साथ के खो रहा हूँ मैं अब इसमें, फिर इक किरन सी दिखाई दी और ये ख़ामोशी ग़ुम हो गई इस रौशनी के साथ कहीं दूर............... इस धुन्ध में #yqdidi