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बहुत ग़ुरूर था, छत को छत होने पर, एक मंज़िल और क

बहुत ग़ुरूर था,

छत को छत होने पर,

एक मंज़िल और क्या बनी,

छत फ़र्श हो गई !

_ Sunil Saxena mere vichar jo dil se nikle..
बहुत ग़ुरूर था,

छत को छत होने पर,

एक मंज़िल और क्या बनी,

छत फ़र्श हो गई !

_ Sunil Saxena mere vichar jo dil se nikle..