अब सब याद बन कर रह गया, वो क्लास वो दोस्त सब ख्वाब बन कर रह गया।
नही चला पता कब इतने साल गुजरे यहाँ,
नही चला पता कितने मिले और कितने बिछड़े यहाँ,
अब तो ये कॉलेज भी एक याद बन कर रह गया,
ये महाराणा प्रताप अब ख्वाब बन कर रह गया।
याद आयेगी वो बाते, वो यादें वो मुलाकाते।
अब कोई दोस्त ना होगा जो समोसे खिलायेगा, #Time#कविता