कल अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा तख्तापलट हुआ तब श्रद्धेय अटल जी की ये पंक्तियां सटीक लगीं. दुनिया का इतिहास पूछता, रोम कहाँ, यूनान कहाँ? घर-घर में शुभ अग्नि जलाता। वह उन्नत ईरान कहाँ ? दीप बुझे पश्चिमी गगन के, व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा, किन्तु चीर कर तम की छाती, चमका हिन्दुस्तान हमारा। शत-शत आघातों को सहकर, जीवित हिन्दुस्तान हमारा। जग के मस्तक पर रोली सा, शोभित हिन्दुस्तान हमारा। श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की स्मृतियों को विनम्र प्रणाम 🙏💐 ©Nisheeth pandey कल अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा तख्तापलट हुआ तब श्रद्धेय अटल जी की ये पंक्तियां सटीक लगीं. दुनिया का इतिहास पूछता, रोम कहाँ, यूनान कहाँ? घर-घर में शुभ अग्नि जलाता। वह उन्नत ईरान कहाँ ? दीप बुझे पश्चिमी गगन के, व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा,