बेटियाँ घर आंगन को रौशन करती हर चेहरे पर खुशहाली लाती माँ की प्यारी, पिता की लाडली वो बेटियां ही तो है कहलाती समाज की कुरीतियों से लड़कर आए दिन हर किसी के तंज सहकर फिर भी हौसलों से उम्मीद नहीं खोती अपने मंजिलों के बुलंदी को है छूटी घर खुद का छोड़ पराय को है अपनाती दूसरों की खुशी में खुद को है भूल जाती जो किलकारी होती थी कभी अपने घर की आज दूसरों के गृहस्थी को है वो संभालती संपूर्ण समाज की वो नींव है बनाती इंसान के चरित्र की तस्वीर है बनाती हर नारीत्व शक्ति की वो पहचान है बेटियां इस समाज में इक वरदान है ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ©Gaurav Prateek #बेटियाँ👧 #नोजोटोहिंदी #नोजोटो_साहित्य #HappyDaughtersDay2020 कवयित्री सुनीता प्रजापत