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वृद्ध होने पर पिता के कुछ औलादें, उठा लेती हैं ज़ि

 वृद्ध होने पर पिता के कुछ औलादें,
उठा लेती हैं ज़िम्मेदारियाँ सारी..!

कुछ एक उनकी सम्पत्ति को,
ताउम्र गिद्द सा नोचती हैं..!

कैसे कैसे उठाई पीड़ा उसने,
जीवन के सारे सुख झोली में डाल..!

ये ख़ुद के वहशीपन में ज़ालिम,
कब और कहाँ सोचती हैं..!

याद आती है पिता की यूँ,
उनके दुनिया छोड़ जाने पर..!

ज़माने भर की मुश्किलें जब,
उन्हें तबाह करने को दबोचती हैं..!

©SHIVA KANT
  #vradhauraulad