लूट जाना चाहते हैं तेरे दोस्ती के लिए मगर हम लौटना नहीं जानते, हम तुम्हें समझते हैं एक अजीज दोस्त अपना, फ़िर भी तुम हमको अपना नहीं मानते। - जगदीश्वर कुशवाहा bas tu dost ban ja meri.....