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White सपनों के पुल ढहते जा रहे हैं, उम्मीदों के व

White  सपनों के पुल ढहते जा रहे हैं,
उम्मीदों के विपरीत बहते जा रहे हैं..!

ज़ुल्म-ओ-सितम झेल रहे हैं हम कितना,
पर मजबूरी में कुछ भी न कह पा रहे हैं..!

दोष मढ़ना किसी और पर मुनासिब नहीं,
ख़ुद को ही दोषी कहते जा रहे हैं..!

पिछले जन्म के कर्मों का हिसाब समझ कर,
सब कुछ मजबूरी में सहते जा रहे हैं..!

मजबूती से बनाई बुनियाद जो थी,
उसे भी खोखला देखते जा रहे हैं..!

ज़माने वाले दुःख पर हमारे,
ख़ुशी से आँखे सेंकते जा रहे हैं..!

खुशियों की जेब खाली कर,
ग़म को जीवन में भरते जा रहे हैं..!

हर पल जीने की ख्वाईश लिए,
पल पल हम भी मरते जा रहे हैं..!

नाकामी का मन में भय लिए,
यूँ ही डरते जा रहे हैं..!

कुछ लोग मन में मक्कारी का मैल लिए,
मिलावट की मुलाक़ातें करते जा रहे हैं..!

©SHIVA KANT(Shayar) #love_shayari #sapnokepul
White  सपनों के पुल ढहते जा रहे हैं,
उम्मीदों के विपरीत बहते जा रहे हैं..!

ज़ुल्म-ओ-सितम झेल रहे हैं हम कितना,
पर मजबूरी में कुछ भी न कह पा रहे हैं..!

दोष मढ़ना किसी और पर मुनासिब नहीं,
ख़ुद को ही दोषी कहते जा रहे हैं..!

पिछले जन्म के कर्मों का हिसाब समझ कर,
सब कुछ मजबूरी में सहते जा रहे हैं..!

मजबूती से बनाई बुनियाद जो थी,
उसे भी खोखला देखते जा रहे हैं..!

ज़माने वाले दुःख पर हमारे,
ख़ुशी से आँखे सेंकते जा रहे हैं..!

खुशियों की जेब खाली कर,
ग़म को जीवन में भरते जा रहे हैं..!

हर पल जीने की ख्वाईश लिए,
पल पल हम भी मरते जा रहे हैं..!

नाकामी का मन में भय लिए,
यूँ ही डरते जा रहे हैं..!

कुछ लोग मन में मक्कारी का मैल लिए,
मिलावट की मुलाक़ातें करते जा रहे हैं..!

©SHIVA KANT(Shayar) #love_shayari #sapnokepul