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वह हाथों की मेहंदी दिखा कर रोई , मैं किसी और की हू

वह हाथों की मेहंदी दिखा कर रोई ,
मैं किसी और की हूं वह बता के रोई ,
नहीं जी पाऊंगी तुम्हारे बिना वह यह बात दोहरा के रोई,
हम उनकी वफा पर शक करें भी तो कैसे
वह भरी महफिल में हमें गले लगा के रोए....... दिल से शायरी
वह हाथों की मेहंदी दिखा कर रोई ,
मैं किसी और की हूं वह बता के रोई ,
नहीं जी पाऊंगी तुम्हारे बिना वह यह बात दोहरा के रोई,
हम उनकी वफा पर शक करें भी तो कैसे
वह भरी महफिल में हमें गले लगा के रोए....... दिल से शायरी