जाड़ों की छुट्टियां खत्म होने को थी, अगले दिन मेरा स्कूल कॉलेज भी खुल रहा था।
मेरी अम्मा कुछ शांत, कुछ उदास सी थी, नज़ाने क्या मन में दबा कर बैठी थी,
दिन भर की यादो को जब रात को सोने से पहले मैने याद किया तब जा कर समझ आया कि अम्मा क्यों शांत सी थी ,वो क्यों उदास सी थी, बस कागज कलम थामी और कुरेद दिए सभी जज्बात मैने कागज पर, और लिखी ये भावनाओ में लतपत कविता!
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