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कुछ सपनो को साथ लेकर, यादें अपनों की पास लेकर ; हम

कुछ सपनो को साथ लेकर,
यादें अपनों की पास लेकर ;
हम घर से अपने दूर चले ।
हो करके हम मजबूर चले।।
                                              यादें अपनों की आएंगी,
                                              हमको बेहद तड़पाएंगी;
                                             जब तन्हाई में बैठेंगे,
                                                 आँखे खुद नम हो जाएंगी।
खाना पीना न भाएगा,
जब याद मेरा घर आ जाएगा;
मन मन ही मन घुट जाएगा।
जब कोई अपने घर को जाएगा।।
                                              आपनो की डाँट को तरसेंगे,
                                             उनके हम साथ को तरसेंगे,
                                              जब ये सब सह ना पाएंगे;
                                         आँखों से पानी बरसेंगे।
शायद अब ये हम सोचेंगे,
ये सोच के खुद को कोसेंगे;
हम इतने क्यों मजबूर हुए;
जो घर से अपने दूर हुए।
                                                अपने कुछ सपनो की ख़ातिर,
                                             अपनों को पीछे छोड़ चले।
                                                 इस ठोकर खाती दुनिया में;
                                                हम भी अब करने होड़ चले।
एक आस का लेकर नूर चले;
हो करके हम मजबूर चले। घर की याद
कुछ सपनो को साथ लेकर,
यादें अपनों की पास लेकर ;
हम घर से अपने दूर चले ।
हो करके हम मजबूर चले।।
                                              यादें अपनों की आएंगी,
                                              हमको बेहद तड़पाएंगी;
                                             जब तन्हाई में बैठेंगे,
                                                 आँखे खुद नम हो जाएंगी।
खाना पीना न भाएगा,
जब याद मेरा घर आ जाएगा;
मन मन ही मन घुट जाएगा।
जब कोई अपने घर को जाएगा।।
                                              आपनो की डाँट को तरसेंगे,
                                             उनके हम साथ को तरसेंगे,
                                              जब ये सब सह ना पाएंगे;
                                         आँखों से पानी बरसेंगे।
शायद अब ये हम सोचेंगे,
ये सोच के खुद को कोसेंगे;
हम इतने क्यों मजबूर हुए;
जो घर से अपने दूर हुए।
                                                अपने कुछ सपनो की ख़ातिर,
                                             अपनों को पीछे छोड़ चले।
                                                 इस ठोकर खाती दुनिया में;
                                                हम भी अब करने होड़ चले।
एक आस का लेकर नूर चले;
हो करके हम मजबूर चले। घर की याद

घर की याद