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जीवन किसी पुल सा थरथराता हुआ टिका खड़ा है एक जगह र

जीवन किसी पुल सा थरथराता हुआ
टिका खड़ा है एक जगह
राहीगार आते हैं और गुज़र जाते हैं
जीवन में भी लोग मिलते हैं बिछड़ जाते हैं
पुल और जीवन में अनेक समानताएं हैं
पुल अगर मजबूत है तब कितना भी भार झेल लेता है
जीवन भी उसी का टिकता है जो
हर दिन नयी परेशानियों से उभर कर आगे बढ़ जाता है।।

©Kanchan Singla
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