आज एक पुरानी कॉपी की कुछ पन्ने पलटे तो एक कविता नजर आ गई वो वक्त भी कुछ खास था ये याद दिला गई, तो कविता उन दिनों की है जब मैं योगा ग्रुप में शामिल थी कविता इस ग्रुप के ऊपर है तो कविता कुछ इस प्रकार है, इस योगा ग्रुप में है कुछ बात सुबह की पहली किरण के साथ है हमारे गुरु डोला जी का साथ , प्राणायाम में सांसों का लेना छोड़ना है हमारी अच्छी सेहत का राज, ओम के उच्चारण में हो जैसे साक्षात भगवान का वास, भ्रामरी उदगीत याद दिलाती है हमें भंवरे का फूल के साथ प्यार जैसे हो कल्पना भाभी और बॉबी भैया का साथ, जिंदगी के सफर में इतना मसरूफ हो गए थे सुबह की पहली किरण से महरूम हो गए थे, अचानक इस जिंदगी के सफर में इस योग योग ग्रुप से टकरा गए दिल ने दिमाग का साथ दिया और फिर मुस्कुरा गए मुस्कुराने की वजह मिल गई है चेहरा यू खिला है जैसे जिंदगी संवर गई है छूटे ना अब ये साथ ये दुआ है हमारी नववर्ष लाए हमारे ग्रुप में खुशियों की सौगात ये दुआ है हमारी... ©Radha Khatri #yuga gruop