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अगर काश मैं पक्षी होता, नभ-समुंदर में चुंग कर आता

अगर काश मैं पक्षी होता,
नभ-समुंदर में चुंग कर आता ।
ना कभी सताते जल-कींच मुझे भी,
ना अटक नैंन का तारा बनता ।

भोर सुबह में निकला सूरज,
तो उसे हराकर मैं जग ही जाता ।
ना कटीले बोल को तुम सुन पाते,
ना दर्द दिलों को मैं देकर जाता ।

अगर काश मैं पक्षी होता,
ना कभी इंसान सा बनना चाहता ।
जो मिलती बुद्धि-वरदान हमें भी,
हर पशु लज्जित कर घमंड ही आता ।

अगर काश मैं पक्षी होता.
ना खुदा का भेद मैं खुद कर पाता ।
आँगन-मस्जिद में सुबह गुजरती,
तो शाम बसेरा मंदिर बन जाता ।। If I were a bird ❤️ 


#yqbaba 
#yqdidi 
#yourquote 
#poetry 
#bird
अगर काश मैं पक्षी होता,
नभ-समुंदर में चुंग कर आता ।
ना कभी सताते जल-कींच मुझे भी,
ना अटक नैंन का तारा बनता ।

भोर सुबह में निकला सूरज,
तो उसे हराकर मैं जग ही जाता ।
ना कटीले बोल को तुम सुन पाते,
ना दर्द दिलों को मैं देकर जाता ।

अगर काश मैं पक्षी होता,
ना कभी इंसान सा बनना चाहता ।
जो मिलती बुद्धि-वरदान हमें भी,
हर पशु लज्जित कर घमंड ही आता ।

अगर काश मैं पक्षी होता.
ना खुदा का भेद मैं खुद कर पाता ।
आँगन-मस्जिद में सुबह गुजरती,
तो शाम बसेरा मंदिर बन जाता ।। If I were a bird ❤️ 


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