ग़र हम भरोसा किसी पर जताएंगे। वो मौक़ा देख हमें पागल बताएंगे। वे ज़ज़्बातों से खेलेंगे पूरे मज़े ले लेंगे! शिकायत को ख़ता हमारी ही बताएंगे। ग़र हो गई है हमसे कभी कोई भूल तो बात बात पर हमको नीचा दिखाएंगे। पास आएंगे हमदर्द के लिबास में मेरे! ज़ख्म देकर नमक भी वही लगाएंगे। दास्तान-ए-ग़म को सुनके जो रोए 'पंछी' ग़र मोहब्बत की तो आग वही लगाएंगे। ♥️ Challenge-776 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।