हम जैसे लोग बेरोजगारीजी में लेते है.. किसान दुनिया को खिला के खुद भूखे सो जाते हैं.. गरीब मजदूर दुनिया को बनाकर खुद झोपड़ी में जी लेते हैं.. देश के सिपाही खुद जग कर देशवासियों को चैन की नींद सुला देते हैं.. और हमारे यहां कुछ बेशर्म लोग इन सबों का मजाक उड़ा के जी लेते हैं... 77