हमारा प्रेम कुछ विचित्र सा ज़रूर है, पर बनावटी नहीं। घाव देकर मरहम लगाने वाला नहीं पर घाव देकर, खुद मरहम बनाना सिखाता है। प्यार में जानू, शोना कहने वाला नहीं, पर यथार्थ में साथ देने वाला है। (अनुशीर्षक में पढ़ें) तुम सोचते होंगे ना कि मैं आजकल तुम्हें परेशान क्यों नहीं करती हूँ? हाँ, हर रोज़ तो नहीं मेरा ख़याल तुम्हारे ज़ेहन में आता होगा पर जब भी तुम यादों का पिटारा लिए बैठते हो ना, मैं जानती हूँ वहाँ मेरा ज़िक्र ज़रूर होता है। चिंतित होकर, पूछने को तुम फ़ोन उठा के मेसेज भी लिखते हो; पर मर्द हो ना, अपनी अना का ख़याल कर रुक जाते हो और मिटा देते हो वो फ़िक्र करने वाली पंक्तियाँ। वक़्त ज़रा थम कर रह जाता है उस पल में, जब तुम्हारी नज़रें मेरी फ़ोटो तक रहीं होतीं हैं, वो फ़ोटो जो मैंने सालों से बदली नहीं। कहते है ना "change, is the only constant thing in life" बस यही बदलाव मुझे कुछ चीजों में अखरता है। खासकर तब जब वक़्त बीतते कोई अपना ही दूर होने लगता है। दूरी की वजह भी उन्हीं चीज़ों को बनाता है जिन कारणों से इतने पास आये थे। जुदाई का वो दर्द ख़ामोश रहकर रो लेता है। उसी इंसान के हाथों क़त्ल हो जाता है एक सुनहरा कल, जिन हाथों ने कभी हमारे मन का समुंदर संभाला था।