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कभी-कभी मैं खुद को चुन लेती हूँ , अंदर बह रही भाव

कभी-कभी मैं खुद को चुन लेती हूँ ,
अंदर बह रही भाव सरिता को सुन लेती हूँ ,
कलम की सुलाई से सुनहरे धागे संग ✍️..... 
अधूरे ख़्वाबों को बुन लेती हूँ ,
परछाई जब पुरानी बखिया उधेड़े ,
मुट्ठी भर खुशियों से रफ्फू कर लेती हूँ ,
उगते सूर्य से ऊर्जा लेकर..... 🌄
थोड़ा प्रेम बोती हूँ.... 🤗
घृणा सुन लेती हूँ.... 
धरती सा धैर्य तो नहीं है मुझमें , 
थोड़ा - 2 मैं भी सह लेती हूँ , 
हालात के थपेड़ों से सशक्त बनकर , 
खुद की  सुन लेती हूँ.... 
खुद से कह लेती हूँ ।

©Geeta Sharma ### वक्त की गर्दिशों में खुद ही संभलती हूँ , 
### इसलिए तो मैं हौंसले लिखती हूँ ।
geetasharma2188

Geeta Sharma

Silver Star
New Creator

### वक्त की गर्दिशों में खुद ही संभलती हूँ , ### इसलिए तो मैं हौंसले लिखती हूँ ।

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