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नहीं यह आम के दम पर,नहीं फिर खास के दम पर। चले जी

नहीं यह आम के दम पर,नहीं फिर खास के दम पर।

चले जीवन निरंतर यह, फ़क़त इक आस के दम पर।

लिए   पतवार   सब   बैठे, नदी  के   बीच  धारा  में-

टिकी है नाव  जीवन की, अटल विश्वास  के दम पर।
 #मुक्तक #विश्वास #विश्वासी
नहीं यह आम के दम पर,नहीं फिर खास के दम पर।

चले जीवन निरंतर यह, फ़क़त इक आस के दम पर।

लिए   पतवार   सब   बैठे, नदी  के   बीच  धारा  में-

टिकी है नाव  जीवन की, अटल विश्वास  के दम पर।
 #मुक्तक #विश्वास #विश्वासी