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नासमझ हूं मैं थोड़ी सी समझदारी मुझे आती नहीं ख

 नासमझ हूं  मैं थोड़ी सी समझदारी मुझे आती नहीं 

खुदगर्ज हूं मैं खुद के लिए दुनियादारी मुझे भाती नहीं 

चुराती में थोड़ा सा वक्त बुड्ढी आंखों के लिए 
जिनके होठों से मुस्कान जाती नहीं

 सुनाती थी जो परियों की कहानी और कोई सुनाता नहीं

खुशियों की वजह ढूंढते हैं लोग 
पागल बन अब कोई हसाता नहीं

वक्त के साथ दौड़ते हैं सब 
वक्त है जो किसी को साथ रखता नहीं
anju

©Anju Dubey 
  September( समझदारी )
anjudubey9942

Anju Dubey

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September( समझदारी ) #Quotes

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