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यह एहसास-ए-ज़ख्म भी खास होते हैं। कभी कोई खास चोट द

यह एहसास-ए-ज़ख्म भी खास होते हैं।
कभी कोई खास चोट देता भी है,
तो दिल्लगी से दिल घबराता नहीं।
कभी अगर दिल-ए- नादान लफ्ज़-ए-इज़हार करना चाहे,
तो वही खास परदा करने से चूकते नहीं।।

©BINOदिनी #दिल-ए-नादान
यह एहसास-ए-ज़ख्म भी खास होते हैं।
कभी कोई खास चोट देता भी है,
तो दिल्लगी से दिल घबराता नहीं।
कभी अगर दिल-ए- नादान लफ्ज़-ए-इज़हार करना चाहे,
तो वही खास परदा करने से चूकते नहीं।।

©BINOदिनी #दिल-ए-नादान

#दिल-ए-नादान #विचार