कि जब-जब क्रिसमस आता है, सैंटा न सही बचपन की यादें साथ मे लाता है । तोहफ़े की अर्जी को पन्नों पर शतकों नाम लिखाना, क्या माँगा है तोहफे में ये यार दोस्त,भाई बहन सबसे छुपाना, सैंटा का सबसे फेवरेट हुँ मै ये दोस्तों में जताना, सैंटा के लिए ग्रीटिंग कार्ड अपने हाथों से बनाना , ग्रीटिंग कार्ड और नामों से भरे पन्ने को तकिया तले दबाना , और सुबह तोहफा पाने की आस में रात को सुकून से सोजाना, सुबह तोहफा न मिलने पर क्या गलती हुई मुझसे ये सोचकर पचताना, दोस्तों को मिले तोहफों की झूठी कहानियां सुनकर अपने आप को ये समझाना, कि तोहफ़ा बड़ा था मेरा इसलिए सैंटा की पोटरी में नही आया लेकिन एक बात कहुँ , क्रिसमस तो हर बार आया और गया , पर सैंटा न कभी आया , न तोहफा लाया हर साल इस सुबह मैने तकिये को कोरा ही पाया। पर फिर भी न जाने क्यों हर बार जब-जब क्रिसमस आता है सैंटा न सही, खुशियां और उम्मीदें साथ में लाता है बचपन की उन यादों को फिर नया कर जाता है कि जब-जब क्रिसमस आता है। कि जब-जब क्रिसमस आता है।।। धन्यवाद 🙏🏼 ©विनय कुमार #MerryChristmas #ki_jab_jab_christmas_aata_hai#4thpost