फिर से वो मेरे जख्मों पर नमक लागाने आई थी अपने यार के साथ मेरी कब्र पे फूल चड़ाने आई थीं और मैं भी बोहोत खूश था उसे अपने पास देख कर यार बोहोत दिनो के बाद उसे मेरी याद तो आई थी बे-वाफा क्या कहे हम उसे उसके चर्चे सारे शहर मे सरे आम होते